इस राज्‍य में तीन दिनों में सौ डाक्टरों ने क्‍यों छोड़ी नौकरी?

इस राज्‍य में तीन दिनों में सौ डाक्टरों ने क्‍यों छोड़ी नौकरी?

सरकारी डॉक्‍टर किसी भी राज्य के दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों के दुर्गम रास्तों पर चलकर नौकरी पर जाने से हमेशा कतराते हैं। जम्‍मू एवं कश्‍मीर में ये समस्‍या और भी गंभीर हो गई है। राज्‍य सरकार ने इस बार इन क्षेत्रों में डाक्टरों को भेजने के लिए प्रयास जरूर किया लेकिन उसमें शर्तें ऐसी थी कि अधिकांश डाक्टरों ने इन क्षेत्रों में जाने से ही मना कर दिया। इन क्षेत्रों में नियुक्त हुए डाक्टरों का त्यागपत्र देने का सिलसिला लगातार जारी है।

दस दिनों में नौकरी छोड़ने वालों की संख्या 187 हुई

पिछले तीन दिनों में ही सौ मेडिकल आफिसर नौकरी छोड़ चुके हैं जबकि दस दिनों में नौकरी छोड़ने वालों की संख्या 187 हो गई है। राज्य लोक सेवा आयोग ने 14 जनवरी 2019 को एसआरओ 202 के तहत रिकार्ड तीन महीने में 921 मेडिकल आफिसर्स का चयन किया था। यह पहली बार था कि चयन के लिए इंटरव्यू भी नहीं हुए और लिखित परीक्षा के आधार पर ही सभी को नियुक्ति आदेश जारी कर दिए गए। सभी नियुक्त डाक्टरों को दूरदराज के अस्पतालों में रिक्त पड़े पदों में भेजा गया। परंतु चालीस प्रतिशत डाक्टरों ने ज्वाइन ही नहीं किया। यही नहीं कई ज्वाइन किए गए डाक्टरों ने भी त्यागपत्र देना शुरू कर दिए।

यह पहली बार था कि राज्य में इतने बड़े स्तर पर डाक्टरों ने नौकरी छोड़ी हो। नौकरी छाेड़ने वाले डाक्टरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले तीन दिनों में 91 और डाक्टरों ने नौकरी छोड़ दी हे। हालांकि इस दौरान कुछ डाक्टरों को फिर से बहाल भी कर दिया गया है लेकिन अभी तक छह सौ के करीब डाक्टर नौकरी छोड़ चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में एसआरओ 202 के स्थान पर स्थायी नियुक्तियां हुई होती तो शायद ऐसी नौबत न आती। वहीं अब स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग न प्रतीक्षा सूची में जिन डाक्टरों के नाम हैं, उनको रिक्त पड़े स्थानों पर नियुक्त करने की तैयारी में है।

क्या है एसआरओ 202

इस एसआरओ के तहत डाक्टरों की नियुक्तियों में पांच साल तक उनका वेतन नहीं बढ़ना है। यही नहीं पांच साल तक उनका तबादला नहीं होना है और इस दौरान वे उच्च शिक्षा के लिए भी नहीं जा सकते हैं। पांच साल के बाद ही उनकी नियुक्ति को स्थायी किया जाएगा।

ऐसे छोड़ते जा रहे हैं नौकरी

  • स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की इन्‍हीं कठिन शर्तों के चलते डाक्‍टर लगातार नौकरी छोड़ते चले गए। 14 मार्च को राज्य प्रशासन ने 437 मेडिकल ऑफिसर्स की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। इन सभी ने तय समय सीमा 26 फरवरी तक ज्वाइन नहीं किया था।
  • नौ अप्रैल को 71 मेडिकल आफिसर्स ने त्यागपत्र दे दिया और उनके त्यागपत्र स्वीकार भी कर लिए गए। यह वे मेडिकल आफिसर थे जिन्होंने ज्वाइन तो किया लेकिन नौकरी नहीं की।
  • 10 अप्रैल को 16 मेडिकल आफिसर ने त्यागपत्र दिया। इन सभी ने भी चयन के बाद ज्वाइन तो किया लेकिन नौकरी नहीं की। विभाग ने त्यागपत्र स्वीकार कर लिए।
  • 18 अप्रैल को 30 मेडिकल आफिसर्स को ज्वाइन न करने पर नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
  • 18 अप्रैल को 61 मेडिकल आफिसर्स को ज्वाइन करने के बावजूद डयूटी पर न आने के कारण नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। इन सभी को नोटिस जारी किए गए थे।
  • 18 अप्रैल को 9 डाक्टरों ने त्यागपत्र दे दिया। इन सभी के अनुरोध पर उनके त्यागपत्र स्वीकार भी कर लिए गए।

 

(दैनिक जागरण से साभार)

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